ये तमाम कायनात एक रेडियो ब्रॉडकास्टर की तरह है
जो हर वक़्त कायनात में मोहब्बत फैलाने की हसरत में
इश्क़ की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स रेडिएट करती रहती है
और ये ज़िंदगी उस महत्वाकांक्षी श्रोता लिस्टनर की तरह है
जो कि ज़िंदगीभर सही स्टेशन ट्यून करने की चाहत में
अपनी कोशिशों के ट्यूनर को चारों ओर घुमाता रहता है
लेकिन मनपसंद स्टेशन के आस-पास
नाॅस्टेल्जिक नॉइज बहुत होता है
जिसे पूरी तरह से रिमूव करने में फ़ितरत का फिल्टर नाकाम रहता है
कायनात के इस चैनल की सबसे ख़ास बात यह है
कि यहाँ केवल प्यार की ढ़ाई हर्टज फ्रिक्वेंसी ही नहीं
बल्कि श्रोताओं के नसीब की ब्रॉडकास्टिंग भी होती हैं
और तो और
प्रोग्राम के दौरान अक्सर एड भी वहीं आते हैं
जो सुनने वालों के मन के मन को बहलाते हैं
गीत सुनाते-सुनाते, अपनी दुनिया में ले जाते हैं
ये सब तो ठीक है,
मगर अब तक ये पता नहीं चल पाया
के रूह के रिकॉर्डिंग रूम में
आखिर वो आरजे कौन है?
जो हर वक़्त, वक़्त के अकाॅर्डिंग
नये-पुराने ट्रैक प्ले करता रहता हैं
और बीच-बीच में दिल की बातें
पुरानी वो यादें ताज़ा कर देता हैं
तो चलिये दोस्तों
मैं जब तक उस आरजे का पता लगाता हूँ
आप तब तक इक एहसास की आवाज़ में
यह नग़्मा सुनिये
बोल है राॅकशायर इरफ़ान के
संगीत है मन के मीत का
और फिल्म का नाम है
ज़िंदगी: रूह दा रेडियो