पर्वरदिगार-ए-आलम, मुझपे हो तेरा क़रम
नापाक मैं, खाक़ मैं, कर दो मुझ पर क़रम
मालिक़ुलमुल्क़ है आप, वाहिबुलख़ुल्क़ है आप
नासाफ़ मैं, जाफ़ मैं, मिटा दो मन के भरम
ग़फ़ूरूर्रहीम है आप, वाहिदुलहकीम है आप
नाकाम मै, शाम मैं, भर दो दिल के ज़ख़म
आलिमुलग़ैब है आप, हाक़िमुलफ़ैज़ है आप
नाचार मैं, ख़्वार मैं, बुला लो मुझको हरम
कातिबेअज़ल है आप, साहिबेफ़ज़्ल है आप
नासाज़ मैं, शाज़ मैं, बुझा दो जलते वहम
रब्बुलआलमीन है आप, हामिदुलआमीन है आप
नाशाद मैं, बर्बाद मैं, हटा दो रूह से सितम
वाहिबुलअताया है आप, वाहिदुलखुदाया है आप
नाकसा मैं, हादसा मैं, कर दो मुझपे रहम
नूर-ए-कायनात, विर्द बता मैं क्याँ करू
गुनाहों में डूबा हूँ, कर दो या मौला क़रम
****शब्द सन्दर्भ****
पर्वरदिगार-ए-आलम – संसार का पालनहार
क़रम – कृपा, मेहरबानी, दया दृष्टि
नापाक – अपवित्र
खाक़ – मिट्टी
मौला – मालिक, प्रभु
मालिक़ुलमुल्क़ – दुनिया का स्वामी
वाहिबुलख़ुल्क़ – सबको देने वाला
नासाफ़ – अशुद्ध
जाफ़ – बेहोशी, अक़्ल की कमी
ग़फ़ूरूर्रहीम – बहुत ज्यादा दयालु, मोक्षदाता
वाहिदुल हकीम – हर मर्ज़ का एकमात्र इलाज
आलिमुलग़ैब – अंतर्यामी
हाक़िमुलफ़ैज़ – बादशाही यश कीर्ति
नाचार – बेबस, असहाय
ख़्वार – अपमानित, तिरस्कृत
हरम – खुदा का पवित्र घर, मक्का शरीफ
कातिबेअज़ल – भाग्य लेखक
साहिबेफ़ज़्ल – दया करने वाला, बुज़ुर्गी वाला
नासाज़ – प्रतिकूल
शाज़ – अकेला, एकाकी
रब्बुलआलमीन – सारे ब्रह्मांड का स्वामी
हामिदुलआमीन – तथास्तु करने वाला
नाशाद – खिन्न, अभागा
वाहिबुलअताया – पुरस्कार देने वाला, रब
वाहिदुलखुदाया – एक खुदा, एकेश्वरवाद
नाकसा – पतित, अधम
नूर – प्रकाश
कायनात – सृष्टि
विर्द – बार बार पढ़ना, दोहराना