— अल्फ़ाज़ में फ़क़त, वज़ूद मेरा नुमायाँ है —

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ख़ुद गर्ज़ होकर ही मैंने, खुद को पाया है
अल्फ़ाज़ में फ़क़त, वज़ूद मेरा नुमायाँ है

ख़लाओं से ख़्याल चुने, ख़राशों से ख़्वाब बुने
लहू में रूहानियत, जुनून मेरा सरमाया है

इत्तिबा उसकी करू, इंतिहा उससे डरु
कायनात के हर ज़र्रे में, वो जो समाया है  

दर्द की मुद्दत के बाद, सर्द सी शिद्दत के साथ
इन्सां ना कोई हाँ, रहबर मेरा ख़ुदाया है

जिस्म कागज़, लफ्ज़ मेरी रूह ‘इरफ़ान’
एहसास में फ़क़त, वज़ूद मेरा नुमायाँ है ।।

#RockShayar ‘इrफ़aन’

— मुझको ही क्यूँ मिटाया मुझसे —

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रूठा है क्यूँ तू खुदाया मुझसे
मुझको ही क्यूँ मिटाया मुझसे

रंज-ओ-ग़म के दामन में फिर
मुझको ही क्यूँ छुपाया मुझसे

जलती रहे फिर रूह सदा ये
गुनाह वो क्यूँ कराया मुझसे

ग़मज़दा सी बेक़रार ज़िन्दगी
सुकून वो क्यूँ चुराया मुझसे

शिकवा यही फ़क़त या मौला
‘इरफ़ान’ क्यूँ मिटाया मुझसे

‪#‎RockShayar‬ ‘IrFaN’

— बाद मुद्दत के लौटा है अपने घर —

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बाद मुद्दत के लौटा है वो अपने घर
परिंदा इक जख़्मों पर पर लपेटकर

साँसों में जलता सावन है अब तक
आँखों में ढलता आँगन है अब तक

मिट्टी की सौन्धी खुशबू में पला है
बरसो बारिश की आरज़ू में जला है

बाद शिद्दत के लौटा है वो अपने घर
परिंदा इक ख़्वाबों पर पर लपेटकर

#RockShayar

“करवटें बदल बदल कर, शब गुज़र जाती है”

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करवटें बदल बदल कर, शब गुज़र जाती है
मुझको तेरी तस्वीर, हर पहर नज़र आती है

धूप सा एहसास मेरा, छाँव लगे है तन तेरा
मुझको ताबीर तेरी, हर सहर नज़र आती है

सदियों से प्यासा हूँ, बरसो से थका मांदा हूँ
मुझको तासीर तेरी, हर लहर नज़र आती है

संगे मरमरी नक्श तेरा, ढूँढ रहा है अक्स मेरा
मुझको तामीर तेरी, हर शहर नज़र आती है

ग़ज़ल तू ग़ुज़ारिश तू, सुकूं सी सिफारिश तू
मुझको तारीफ तेरी, हर बहर नज़र आती है

‪#‎RockShayar‬ ‘IrFaN’

शब – रात
ताबीर – स्वप्नफल
सहर – सुबह
तासीर – गुणदोष
तामीर – निर्माण
तख़्लीक़ – रचना
बहर – पद्य के छंद में वज़न

“हार कभी ना मान रे तू”

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लक्ष्य हो कितना भी बड़ा
दूर हो जितना भी खड़ा

हार कभी ना मान रे तू
रार कभी ना ठान रे तू

मिलेंगे कई तूफ़ान तुझे
करेंगे वो जो हैरान तुझे

मिटा जीवन के अंधियारे
जगा ले मन में उजियारे

मिलेगा तभी तुझको तू
खिलेगा तभी तुझमें तू

लक्ष्य हो जितना भी बड़ा
ज़िद पे कितना भी अड़ा  

हार कभी ना मान रे तू
वार कभी ना थाम रे तू

#RockShayar

“मौके पे खुद लुटा है मौका”

कोहली ने फिर दे दी गोली
बाॅल शमी की कुछ ना बोली

धोनी अकेला करे कैसे होनी
घट ही गई आख़िर अनहोनी

जोर तो रोहित ने भी लगाया
रैना मगर वो चल ना पाया

शिखर ने जब शुरुआत करी
टीम विपक्षी लगी डरी डरी

क्याँ अजिंक्यां क्याँ जडेजा
गाते रहे सब मैं आया तू जा

उमेश की मेहनत पानी हुई
मोहित की धार बेगानी हुई

स्पिन हुआ खुद अश्विन ही
कंगारुओं ने फिरकी ले ली

खेल खेल में हुआ यूँ धोखा
मौके पे खुद लुटा है मौका

‪#‎RockShayar‬

“दिल के कमरे पर ताला लगा रक्खा है”

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दिल के कमरे पर ताला लगा रक्खा है
हमने यादों पर जाला लगा रक्खा है

पहुँच ना सके, कोई भी उस दर तक
संगीन सा वो रखवाला लगा रक्खा है

मुकद्दर की दरारें, हो बुरी नज़र का वार
माथे पर निशान काला लगा रक्खा है

दर्द की तहरीर जो, बयां ना हो पाए तो
ग़म-ए-हिज़्र का हवाला लगा रक्खा है

जज़्बातों में जज़्बाती, ना हो जाये दिल
पहरा वो सबसे आला लगा रक्खा है

सुन ले ना कोई, आहें मेरी ‘इरफ़ान’
लबों पर हमने ताला लगा रक्खा है

‪#‎RockShayar‬ ‘IrFaN’

संगीन – पत्थर के जैसा
मुकद्दर – नसीब, भाग्य
तहरीर – लिखित दस्तावेज
ग़म-ए-हिज़्र – विरह पीङा
बयां – कहना
हवाला – स्पष्टीकरण
जज़्बात – भावना
आला – ऊँचा
लब – होंठ

“ख़्वाहिशें हो जब तक अधूरी, मज़ा वो तब तक ही है”

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ख़्वाहिशें हो जब तक अधूरी, मज़ा वो तब तक ही है  
ज़िन्दगी हो जब तक ना पूरी, मज़ा वो तब तक ही है

मंज़िलें महकने लगे खुद, ये रास्ते पनपने लगे खुद
सफ़र में हो जब तक वो दूरी, मज़ा वो तब तक ही है

मोम सा यह दिल सदा, पिघलता रहता है हौले हौले  
तमन्ना हो जब तक ना पूरी, मज़ा वो तब तक ही है

चोट खाकर जो हमने, सीखा है फ़क़त यही ‘इरफ़ान’
रिश्तों में हो जब तक यूँ दूरी, मज़ा वो तब तक ही है

#रॉकशायर

“नंगे पाँव हाँ अंगारों पर चलना है तुझे”

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नंगे पाँव हाँ अंगारों पर चलना है तुझे
शोलों की तरह अब तो जलना है तुझे

गिरे वो चाहे कितनी दफ़ा तू यहाँ पर
खुद उठना और खुद सम्भलना है तुझे

वक्त जो भी हो गुज़र जायेगा इक दिन
वक्त की ही तरह अब बदलना है तुझे

झेलकर हर वार सीने पर शातिर का
पिघलते सुर्ख़ लोहे सा ढलना है तुझे

कह रहा वज़ूद तुझसे यही ‘इरफ़ान’
वक्त के पाट में खुद को दलना है तुझे

#RockShayar

“शहादत का फ़साना” (शहीदों को काव्य श्रद्धाजंलि)

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मरकर भी यहाँ, कभी नही वो मरता है
वतन के लिए जो, ज़ां निसार करता है

सरफ़रोशी की शमां, दिल में हो जिसके
मौत से भी हाँ, कभी नही वो डरता है

लहू का अफ़साना, जुनून का दीवाना
जख़्मी हो चाहे, आहें नही वो भरता है

यूँही नही होता, शख़्स कोई अमर यहाँ
नाम देश के, इस ज़िन्दगी को करता है

शहादत का फ़साना, है यही ‘इरफ़ान’
फ़क़त मुल्क़ से ही, इश्क़ वो करता है

‪#‎RockShayar‬

“मरा है जो पहले से, उसे मारा नही करते”

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जुबां को हम अपने खारा नही करते
यूँही किसी पर दिल हारा नही करते

आख़िरी दम तक लङना वो है आदत हमारी
दर्द कितना भी हो पुकारा नही करते

मुसीबत में फँसा हो गर मज़लूम कोई
देखकर उसे फिर किनारा नही करते

छीन ले जो इस रूह का चैन-ओ-सुकूं
ख़ता वो ऐसी कोई दुबारा नही करते

ये तजुर्बा है फ़क़त, यूँही नही ‘इरफ़ान’
मरा है जो पहले से, उसे मारा नही करते

‪#‎RockShayar‬

जुबां – जिह्वा
मज़लूम – बेबस, असहाय
रूह – आत्मा
चैन-ओ-सुकूं – सुख संतोष
ख़ता – गलती
तजुर्बा – अनुभव
फ़क़त – केवल, सिर्फ

“तन्हाई में हरदम जलता ही रहा”

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शब के अंधेरों में ख़लता ही रहा
गुनाहों में हरदम पलता ही रहा

सीने में सुकून की ख़ाहिश लिए
तन्हाई में हरदम जलता ही रहा

दौर-ए-ख़िज़ा वो जब आई तो
नूर का साया भी ढलता ही रहा

कदम दर कदम खुद से दूर होकर
अजनबी राहों पर चलता ही रहा

तन्हाई का बयां है ये “इरफ़ान”
बैचेनी में हरदम जलता ही रहा

‪#‎RockShayar‬

शब – रात
ख़लना – कमी महसूस होना
गुनाह – पाप
ख़ाहिश – इच्छा
तन्हाई – एकान्त
दौर-ए-ख़िज़ा – पतझङ का मौसम
नूर – प्रकाश
साया – परछाई

“चाँद की वो मिरर इमेज” (Mirror Image of Moon)

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रात की ख़ामोशी में अक्सर
यूँ झील के किनारे बैठे हुए
सुबकियाँ लेती हुई लहरों के
लहराते बलखाते बदन पर
चाँद की वो मिरर इमेज
इमेजिन करता रहता हूँ

कभी ब्लर्ड लगे जो
कभी लगे है कलर्ड
कभी ब्राइट लगे जो
कभी लगे है व्हाइट
माहताब के सैंकडों लुक
एक शब में नज़र आ जाते है
चरखा कातती हुई वो बुढिया
या हो बचपन वाला चंदा मामा
बरखा रे गाती हुई वो गुडिया
या हो इश्क़ वाला लवली मून
इतने डिफरेंट कलर्स है
एक बार को तो
खुद चाँदनी भी कन्फ्यूज हो जाये
कि आख़िर ये चाँद है कैसा
वाकई में कलरफुल है या
फेंक रहा है यूँही ऊँची ऊँची
सिरफिरे किसी आशिक की तरह

चाँद की शफ्फ़ाफ़ रूह को
गर महसूस करना है तो
बैठो फिर किसी रोज यूँही
रात भर झील के किनारे पर
नीली नीली उस तन्हाई को
सीली सीली आँखों में भरकर
ख़्यालों की बुझी अंगीठी में
लफ़्ज़ों के कोयले जलाकर
तब कहीं जाकर नज़र आये
यूँ तसव्वुर के आईने में
चाँद की वो मिरर इमेज ।।

‪#‎RockShayar‬

“आसमानी सा ये आसमान”

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देर तक ज़मीन की गोद में बैठे हुए
आसमान को यूँ निहारते रहता हूँ
आसमानी सा ये आसमान
हर पल कई रंग बदलता है
कभी वीरान कभी बादल
कभी हैरान कभी काजल
कभी नीला कभी पीला
कभी ख़ुश्क़ कभी गीला
कभी दिन कभी रात
कभी चुप कभी बात
कभी वफ़ा कभी जफ़ा
कभी घाटा कभी नफ़ा
कभी हँसी कभी नमी
कभी पूरा कभी कमी
अनगिनत दुआओं में लिपटा हुआ
अनगिनत ख़लाओं में सिमटा हुआ
ये आसमान
ख़्वाब भी बुनता है तो
ख़ाहिश महकने लगती है
ख़्याल भी चुनता है तो
बारिश बरसने लगती है
आसमानी सा ये आसमान
ख़्वाब मगर नही है इसके आसमानी
सदियों से सितारों की गोद में बैठे हुए
ज़मीन को बस यूँ निहारते रहता है
ज़मीन को बस यूँ पुकारते रहता है ।।

“ओला राइड (OLA Ride)”

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बाइक को अपनी कर दिया है साइड
मिली है जब से मुझको ओला राइड  

घूमो फिरो अब कैब से, बुक करो ऎप से
लोकेशन भी देखो, जी हाँ गूगल मैप से

किफ़ायती हो मिनी या स्टाइलिश सिडान  
एक से बढ़कर एक है, बढ़ाओ अपनी शान  

करेगा जब भी कोई, यूज़ तुम्हारा रेफरल कोड
एक्टिव होगा तभी वोह, अर्न ओला मनी मोड

झट से हो बुकिंग, और फट से कैंसिल      
ओला कैब तो जैसे, जादुई कोई पेंसिल   

स्टैण्डर्ड होने लगा है अब मेरा वाइड
मिली है जब से मुझको ओला राइड  

#RockShayar Irfan Ali Khan
http://www.rockshayar.wordpress.com

“ना मैं सोया रात भर यहाँ”

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अश्क़ भी ना बचे अब तो
इतना रोया रात भर यहाँ

बेवज़ह जाने किसके लिए
मैं था खोया रात भर यहाँ

सूजी सूजी ये आँखें मेरी
लोबान सी है साँसें तेरी

गमगीं निगाहें जर्द़ पनाहें
इतना रोया रात भर यहाँ

पुकारू तुझको या मौला
ना मैं सोया रात भर यहाँ

‪#‎RockShayar‬

“सितारों से आगे मंज़िल तेरी”

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रूकना नही है अभी तुझे, झुकना नही है अभी तुझे
सितारों से आगे मंज़िल तेरी, थकना नही है अभी तुझे

कदम कदम पर आयेगी जो, मुश्किलें कई परेशानियाँ कई
हालात के आगे टेक कर घुटने, झुकना नही है अभी तुझे

बैठा है शातिर इस ताक में, तुझको मिटाने की फिराक में
तू अकेला पूरी फौज है अपनी, थकना नही है अभी तुझे

रंज-ओ-ग़म का पहरा घना, छाया हर तरफ अंधेरा घना
जलवानुमा तू आफ़ताब है खुद, ढलना नही है अभी तुझे

वज़ूद की गुज़ारिश ये अपनी, सुन ले रे तू भी ‘इरफ़ान’
सितारों से आगे मंज़िल तेरी, थमना नही है अभी तुझे

                     © रॉकशायर
 
मंज़िल – लक्ष्य
शातिर – धूर्त
फौज – सेना
रंज-ओ-ग़म – दुःख दर्द
जलवानुमा – प्रकाशवान
आफ़ताब – सूर्य
वज़ूद – अस्तित्व
गुज़ारिश – प्रार्थना

“तेरी चाहत जाविदां सी लगती है “

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रंजे उल्फ़त वो रिदा सी लगती है
तेरी चाहत जाविदां सी लगती है

ज़र्रा ज़र्रा यहाँ, है बेक़रार कब से
हर शै तुझ पे फ़िदा सी लगती है

तू ही मेरी ज़ात, तू ही मेरे जज़्बात
दिल को तू मेरे जिदा सी लगती है

ना मिलो जिस घङी, ख़्यालों में तुम
वो घङी तो अलविदा सी लगती है

लब कहे जब भी, हौले से ‘इरफ़ान’
दिल को रूहानी निदा सी लगती है

 #RockShayar

—-शब्द सन्दर्भ—-

रंजे उल्फ़त – प्रणय पीङा, विरह वेदना
रिदा – ओढने की चादर
जाविदां – अमर, कभी ना खत्म होने वाली
ज़र्रा – कण
बेक़रार – अधीर
शै – वस्तु
फ़िदा – मुग्ध
ज़ात – व्यक्तिगत
जज़्बात – भावना
जिदा – स्वच्छ करने वाली
ख़्याल – कल्पना, विचार
अलविदा – बिछुङना
लब – होंठ  
रूहानी – आध्यात्मिक
निदा – पुकारना, आवाज़ देना

“जोश के साथ साथ, होश भी रख”

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जोश के साथ साथ, होश भी रख
शब्द के साथ, शब्दकोश भी रख

जीता जा यूँ, मस्ती में झूमता जा
ज़ाहिर के साथ, रूपोश भी रख

ज़िंदगी की दौङ में, तू है होङ में
बैचेनी के साथ, ख़ामोश भी रख

कहे ये तजुर्बा, फ़क़त ‘इरफ़ान’
नींद के साथ, कुछ होश भी रख

‪#‎राॅकशायर‬

ज़ाहिर – प्रत्यक्ष
रूपोश – भूमिगत, अप्रत्यक्ष
ख़ामोश – चुपचाप
तजुर्बा – अनुभव
फ़क़त – केवल, सिर्फ

“ये मुहब्बत है, आँखों से पढी जाये इरफ़ान”

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चाहकर भी हमसे, नज़रे मिला ना पाओगी
बाद दीदार के यूँ, पलकें झुका ना पाओगी

दबे हो जज़्बात चाहे, दिल के कोनों में कहीं
इश्क़ दा एहसास, दिल में छुपा ना पाओगी

कोशिश कर के देख लेना, वादा है ये मेरा
रूमानी वो यादें, रूह से मिटा ना पाओगी

अलहदा है ज़रा, अंदाज़ भी अल्फ़ाज़ भी
सुरमई वो निगाहें, हमसे हटा ना पाओगी

ये मुहब्बत है, आँखों से पढी जाये ‘इरफ़ान’
छुपा लो लाख यूँ, खुद से छुपा ना पाओगी

‪#‎RockShayar‬

“साया हूँ तुम्हारा, ज़ुदा कैसे कर पाओगी”

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जहाँ भी तुम जाओगी, वहाँ मुझे पाओगी
साया हूँ तुम्हारा, ज़ुदा कैसे कर पाओगी

साँसे मेरी तेरा अक्स है, बाहें तेरी मेरा लम्स है  
रोम रोम तूही मुझमें, जैसे सुबह का शम्स है

ख़्वाब तेरे अब है मेरे, ख़्याल तेरे सब है मेरे
लम्हा लम्हा उतर रहा यूँ, रूह में अब तू मेरे   

अल्फ़ाज़ सी है आदत, एहसास और चाहत
सोहबत में तेरी ही सदा, सुकून और राहत

जहाँ भी तुम जाओगी, वहाँ मुझे पाओगी
अक्स हूँ तुम्हारा, ज़ुदा कैसे कर पाओगी….
 
लब तेरे मेरी आवाज़, शब तेरी मेरे हमराज़
हर सहर तूही पता, है लापता मेरे दिन रात

आँखें तेरी वो बातें मेरी, यादें तेरी वो रातें मेरी
बाक़ी है मुझमें कहीं, रेशमी वो मुलाकातें तेरी

नेक सी कोई इबादत, इख़लास और चाहत
क़ुरबत में तेरी ही सदा, सुकून और राहत

जहाँ भी तुम जाओगी, वहाँ मुझे पाओगी
साया हूँ तुम्हारा, ज़ुदा कैसे कर पाओगी ।।

#RockShayar

अक्स – परछाई
लम्स – स्पर्श
शम्स – सूरज
सोहबत – संगत
लब – होंठ
शब – रात
हमराज़  – राज़ जानने वाला
सहर – सुबह
इबादत – पूजा अर्चना
इख़लास – स्नेह
क़ुरबत – सामीप्य, निकटता

“मैं आजकल रोता नही”

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रातों में अब सोता नही
मैं आजकल रोता नही

तन्हाई का साया हूँ मगर
सुकून कभी खोता नही

जलाये जो रूह को मेरी
यादें वो अब ढोता नही

यूँ तो ज़िन्दा हूँ कब से
एहसास पर होता नही

जगाये जो जज़्बात मेरे
बीज वो अब बोता नही

दर्द से बना हूँ ‘इरफ़ान’
मैं आजकल रोता नही

‪#‎RockShayar‬

“बागी हो गये है लफ़्ज़ सारे”

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बागी हो गये है लफ़्ज़ सारे
ज़ख़्मी लगते सब चाँद तारे

नज़्म लिखू के लिखू ग़ज़ल
अंदाज़ कितने न्यारे न्यारे

तलब कभी मिटती ही नही
इश्क़ के दरिया सब खारे

मात दी वो कोई और नही
खुदसे खुदको ही हम हारे

कश़्ती को कोई लहर नही
उलट रहे खुद मंझधारे

बनाये थे कुछ नन्हें सागर
ढह गए सब कच्चे किनारे

बागी हो गये है हर्फ़ सारे
ज़ख़्मी लगते ख़्वाब सारे

क़ता लिखू के लिखू रूबाई
अंदाज़ कितने न्यारे न्यारे

‪#‎राॅकशायर‬

“ग़ज़लां विच्च तूही मेरी, कदे जे वेख्या ही नही”

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अक्खां विच्च कि है मेरी, तूने वेख्या ही नही
साँसां विच्च तूही मेरी, कदे जे वेख्या ही नही

पिया साँवरा जित्थे वसदा, दिल उत्थे ही लगदा
जिया बावरा उत्थे लगदा, सनम जित्थे है वसदा

त्वाड्डी खुशबू जे हर सू, आन्दी रेन्दी है मुझमें
त्वाड्डी आरज़ू कि हर सू, केन्दी रेन्दी है मुझसे

ख़्वाबा नाल रोज ते, दीदार करदी रेन्दी मगर
बातां विच्च की है मेरी, कदे जे वेख्या ही नही

नज़रा वे सानू हर पल, गल्ला करदी तू मेरी
अम्बरा ते सोणी सच्ची, सूरत लगदी वे तेरी

त्वाड्डी खुशबू जे हर सू, आन्दी रेन्दी है मुझमें
त्वाड्डी जुस्तजू कि हर सू, केन्दी रेन्दी है मुझसे

ख़्याला नाल रोज ते, दीदार करदी रेन्दी मगर
ग़ज़लां विच्च तूही मेरी, कदे जे वेख्या ही नही

‪#‎RockShayar‬

“लाईफ का वी.आई.पी. ट्रीटमेंट”

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ज़िन्दगी के मासूम से चेहरें पर
ग़मों की सेविंग बढ गई है बहुत
चलो ना इसकी शेविंग बनाई जाये
मस्त मंलग सुपर सलंग रेजर से
ध्यान रहे मचलती हुई ब्लेड से
ख़्वाबों पर कहीं भी कट ना लगे
हाँ उदासी के मुँहासे भले ही कटे
और कोई भी निशां बाक़ी ना रहे
चाहे कितनी ही क्रीम लगानी पङे
रूह को जुनूं से स्क्रब करना पङे
दर्द से आजादी मिले वो तुरंत ही
गर आफ्टर शेव हो एहसास का
मस्त ऐ.सी. सैलून सा वो ट्रीटमेंट
लाईफ का हो यूँ वी.आई.पी. ट्रीटमेंट

“फिर भी खुद को आदमी कहता है वो”

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यूँ तो खुद को आदमज़ाद कहता है वो
हर पल सकल बाहें खोलें बहता है वो

ज़िंदगी से हर रोज यूँ उलझता हुआ
मौत के सर्द आगोश़ तले रहता है वो

हो धर्म की हुंकार या कर्म की पुकार
वक्त के सब अचूक वार सहता है वो

ना किसी शस्त्र से ना किसी अस्त्र से
फ़क़त अपने ही अहं से ढहता है वो

आदमी ना रहा अब तो आदमी यहाँ
फिर भी खुद को आदमी कहता है वो

‪#‎RockShayar‬

“हयात के मुसव्विर” (Painter of Life)

'"हयात के मुसव्विर"
          (Painter of Life)

हयात के मुसव्विर, ओ नसीब के मुहर्रिर
बख्श़ दे तू मुझको, ग़मज़दा मैं मुक़स्सिर 

मुन्तज़र सब राहें, मुफ़्लिस है ये निगाहें
सँवार दे मुस्तक़्बिल, हो जाऊँ मैं मुक़र्रिर

वुज़ूद है मुफ़स्सिर, कुलूब ये मुफ़क्किर
क़रम कर दो मौला, बन जाऊँ मैं मुबस्सिर

आमाल हो मुबश्शिर, अख़्लाक़ हो मुकब्बिर
फ़ज़्ल से तेरे खुदाया, अल्फ़ाज़ हो मुअस्सिर

मुख़्तसर सी ये ज़िन्दगी, करू मैं तेरी बन्दगी
मुख़य्यिर तू सबसे बङा, हर शै का मुग़य्यिर

मुक़ल्लिद तेरा ही रहूँ, मुक़द्दस वो आयतें पढूँ
इश्क़ तुझसे ही मौला, नफ़्स का मैं मुसख़्ख़िर

हयात के मुसव्विर, ओ मुकद्दर के मुहर्रिर
बख्श़ दे तू मुझको, गुनहगार मैं मुक़स्सिर 

#RockShayar

हयात - ज़िन्दगी, जीवन
मुसव्विर -चित्रकार
नसीब - भाग्य
मुहर्रिर - लेखक
बख्श़ - माफ़
ग़मज़दा - दुखी
मुक़स्सिर - गलती करने वाला 
मुन्तज़र - जिसकी प्रतीक्षा देखी जा रही हो
मुफ़्लिस - गरीब, दरिद्र
मुस्तक़्बिल - भविष्य, आने वाला कल
मुक़र्रिर - वक्ता, भाषण देने वाला
वुज़ूद - अस्तित्व, हस्ती
मुफ़स्सिर - भाष्यकार
कुलूब - हृदय, दिल
मुफ़क्किर - विचारक, दार्शनिक
मुबस्सिर - पारखी, अनुभवी
आमाल - कर्म
मुबश्शिर - शुभ सूचना देने वाला 
अख़्लाक़ - शिष्टाचार
मुकब्बिर - ऊँची आवाज़ में पढने वाला
फ़ज़्ल - दया, अनुकृपा
मुअस्सिर - गुणकारी
मुख़्तसर - अल्प, थोङा
मुख़य्यिर - दानशील
शै - वस्तु
मुग़य्यिर - परिवर्तनकर्ता
मुक़ल्लिद - अनुयायी
मुक़द्दस - पवित्र, पाकीज़ा
आयत - पवित्र कुरआन शरीफ के वाक्यांश
नफ़्स - आत्मा, इन्द्रिय
मुसख़्ख़िर - विजेता'

हयात के मुसव्विर, ओ नसीब के मुहर्रिर
बख्श़ दे तू मुझको, ग़मज़दा मैं मुक़स्सिर

मुन्तज़र सब राहें, मुफ़्लिस है ये निगाहें
सँवार दे मुस्तक़्बिल, हो जाऊँ मैं मुक़र्रिर

वुज़ूद है मुफ़स्सिर, कुलूब ये मुफ़क्किर
क़रम कर दो मौला, बन जाऊँ मैं मुबस्सिर

आमाल हो मुबश्शिर, अख़्लाक़ हो मुकब्बिर
फ़ज़्ल से तेरे खुदाया, अल्फ़ाज़ हो मुअस्सिर

मुख़्तसर सी ये ज़िन्दगी, करू मैं तेरी बन्दगी
मुख़य्यिर तू सबसे बङा, हर शै का मुग़य्यिर

मुक़ल्लिद तेरा ही रहूँ, मुक़द्दस वो आयतें पढूँ
इश्क़ तुझसे ही मौला, नफ़्स का मैं मुसख़्ख़िर

हयात के मुसव्विर, ओ मुकद्दर के मुहर्रिर
बख्श़ दे तू मुझको, गुनहगार मैं मुक़स्सिर

‪#‎RockShayar‬

हयात – ज़िन्दगी, जीवन
मुसव्विर -चित्रकार
नसीब – भाग्य
मुहर्रिर – लेखक
बख्श़ – माफ़
ग़मज़दा – दुखी
मुक़स्सिर – गलती करने वाला
मुन्तज़र – जिसकी प्रतीक्षा देखी जा रही हो
मुफ़्लिस – गरीब, दरिद्र
मुस्तक़्बिल – भविष्य, आने वाला कल
मुक़र्रिर – वक्ता, भाषण देने वाला
वुज़ूद – अस्तित्व, हस्ती
मुफ़स्सिर – भाष्यकार
कुलूब – हृदय, दिल
मुफ़क्किर – विचारक, दार्शनिक
मुबस्सिर – पारखी, अनुभवी
आमाल – कर्म
मुबश्शिर – शुभ सूचना देने वाला
अख़्लाक़ – शिष्टाचार
मुकब्बिर – ऊँची आवाज़ में पढने वाला
फ़ज़्ल – दया, अनुकृपा
मुअस्सिर – गुणकारी
मुख़्तसर – अल्प, थोङा
मुख़य्यिर – दानशील
शै – वस्तु
मुग़य्यिर – परिवर्तनकर्ता
मुक़ल्लिद – अनुयायी
मुक़द्दस – पवित्र, पाकीज़ा
आयत – पवित्र कुरआन शरीफ के वाक्यांश
नफ़्स – आत्मा, इन्द्रिय
मुसख़्ख़िर – विजेता

“याद रखें दुनिया जिसे, कुछ ऐसा कर जाऊंगा”

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याद रखें दुनिया जिसे, कुछ ऐसा कर जाऊंगा
हुआ नहीं जो अब तक, कुछ वैसा कर जाऊंगा

ज़हन की परछाईयों से, रूह की गहराईयों से
छू ना सका कोई जिसे, वोह बयां कर जाऊंगा

तपिश भरी ये निगाहें, ख़लिश भरी है सब राहें
जुनून की इस आग में, दर्द फ़ना कर जाऊंगा

रुकना नहीं कभी मुझे, झुकना नहीं कभी मुझे
इरादों से हर मात को, यूँही धुँआ कर जाऊंगा

तकब्बुर नहीं ये कोई, फ़क़त है इंक़िलाब मेरा
सबसे ज़ुदा मैं अलहदा, कुछ नया कर जाऊंगा

‪#‎RockShayar‬

“तुम्हारे दर्द को भी, हमारे बना लेता हूँ”

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समंदर हूँ, अपने किनारे बना लेता हूँ
मैं टूटकर भी यहाँ, सहारे बना लेता हूँ

ना रोक पाये कोई, बंदिश मुझको यहाँ
मैं रूठकर भी यहाँ, बहारें बना लेता हूँ

नियत मेरी साफ़, ना दिल में कोई पाप
बंजर में भी, रेशमी नज़ारे बना लेता हूँ

अश्क़ों के मोती, दुआओं में लपेटकर
आसमां से टूटे, कुछ तारे बना लेता हूँ

अल्फ़ाज़ ना कह पाये, गर बात कोई तो
आँखों ही आँखों में, इशारे बना लेता हूँ

शर्फ़ ख़ुदा ने, बख़्शा ये मुझको ‘इरफ़ान’
तुम्हारे दर्द को भी, हमारे बना लेता हूँ

‪#‎RockShayar‬

“ज़िन्दगी की दर्सगाह में”

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ज़िन्दगी की दर्सगाह में, बस इतना ही सीखा हमने
ख़ैर और ख़्वार के दरमियां, है जो फ़र्क़ सीखा हमने

#RockShayar

दर्सगाह – पाठशाला
ख़ैर – कल्याण
ख़्वार – अपमान
दरमियां – बीच में
फ़र्क़ – भिन्नता

“औरत”

मर्द को मुकम्मल बनाती है वो
दिलों में हसरत जगाती है वो

कायनात ये अधूरी उसके बिना  
इंसान को इंसान बनाती है वो

वज़ूद को अपने तलाशती हुई
जिस्म को रूहानियत सिखाती है वो

किरदार है सब बेमिसाल उसके
घर को जन्नत बनाती है वो

तारीफ़ ना कोई मुमकिन ‘इरफ़ान’
ज़िन्दगी जीना सिखाती है वो

#RockShayar

“लॉन्ग ड्राइव, इक परी के साथ”

फैरी टेल्स सा था, वो सब कुछ
हर्ट में मेरे हुआ, जो कुछ कुछ

शाम सुहानी, वो लम्हें रूमानी
हौले हौले, बरस रहा था पानी

लॉन्ग ड्राइव, इक परी के साथ
थामे हुए था, मैं हाथों में हाथ

म्यूजिक वो लाउड, घने थे क्लाउड
किस्मत पे होने लगा, मुझको प्राउड

बारिश की बूंदें, आँखें जो मूँदे
लबों पे ठहरी, वो नूर की बूँदे

सेल्फीनुमा साँसें, रेशम से वादें
स्टोर है मुझमें, एच.डी. वो यादें

फैरी टेल्स सा था, वो सब कुछ
हर्ट में मेरे हुआ, जो कुछ कुछ

शाम सुहानी, वो सफ़र रूमानी
धीमे धीमे, बरस रहा था पानी

लॉन्ग ड्राइव, इक परी के साथ
थामे हुए था, मैं हाथों में हाथ

काश, उस लम्हें को रोक लेता
जाते जाते, उसको मैं रोक लेता

मगर वो तो थी, कोई फैरी सी
ख़्यालों की टेल्स, सुनहरी सी

जाने कहाँ वो कब, मिलेगी फिर
आकर मेरे हाथ को. थामेगी फिर

 #RockShayar

“खुद को मथ रही है स्त्री”

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दधि का मंथन करते हुए
वो अक्सर ही
अपने मन का भी मंथन कर लेती है

कोमल कोमल हाथों में फिर
आत्म अवलोकन की मथनी लिए
मन के रस को यूँ बिलौती जाती है

कभी मिलता है विष उसको
कभी मिलता है अमृत
कभी मिलता है तृष उसको
कभी मिलता है घृत

जाने कितने घाव लिए
धूप में गहरी छाँव लिए
व्यक्तित्व को थामे हुए
पथ पे बढ रही है स्त्री
अस्तित्व को थामे हुए
खुद को मथ रही है स्त्री

‪#‎RockShayar‬

“इक चेहरा मुझे अपना सा लगे”

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हसीन वो कोई सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे
सीधा सरल वो रूमानी ग़ज़ल
नेकदिल रब का रूहानी फ़ज़ल
सुबह का देखा सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे
हसीन वो कोई सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे…

बातों में उसकी जैसे कोई जादू
अदाओं से करे यूँ होश बेकाबू
नज़र से नज़र को चुरा ले जाये
पलभर में दीवाना बना ले जाये
हसरतों के बियाबान जंगल में
सुबह का देखा सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे
हसीन वो कोई सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे…

आँखों में उसकी जैसे कोई नशा
रातों में चमकती हुई कहकशाँ
लबों से लफ़्ज़ को चुरा ले जाये
मीठा वो फ़साना बना ले जाये
ख़्वाहिशों के ख़ामोश जंगल में
सुबह का देखा सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे
हसीन वो कोई सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे…

यादों में उसकी जैसे कोई याद
वादों में लिपटी आहें फरियाद
साँसों से साँसों को चुरा ले जाये
पलभर में दीवाना बना ले जाये
जज़्बातों के बियाबान जंगल में
सुबह का देखा सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे
हसीन वो कोई सपना सा लगे
इक चेहरा मुझे अपना सा लगे ।।

‪#‎RockShayar‬

“पिया संग होरी खेलन आई”

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पिया संग होरी खेलन आई
नैनन को साजन मैं सुहाई
अंग अंग मोरा जल तरंग
सुधबुध खोई बनी मृदंग
रसिया मोहे रंग दीजो मन
गाये मल्हार झूमे गगन
पिया संग होरी खेलन आई
मन से मन को मेलन आई
नैनन को साजन मैं सुहाई…

चहुँ दिशा निनाद गूँजे
हर्ष का शंखनाद गूँजे
रंग रंग तोरा रंग गुलाबी
अंग अंग मोरा अंग गुलाबी
बसिया मोहे रंग दीजो मन
नाचे बहार झूमे पवन
पिया संग होरी खेलन आई
प्रेम पोखर में भेलन आई
नैनन को साजन मैं सुहाई..

सप्त दिशा वो सप्त सुर
रंगों में जीवन का सुर
मन मलंग ऋतु बसंत
तमस का हो अब अंत
साँवरे मोहे रंग दीजो मन
छाये खुमार नाचे ये मन
पिया संग होरी खेलन आई
तन से मन को मेलन आई
नैनन को साजन मैं सुहाई

‪#‎RockShayar‬

“वो एक मधुशाला”

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अधरों पर है उसके यौवन हाला
मृगनयनी सी वो एक मधुशाला

अंग अंग से आये मादक सुगंध
मन मलंग में बस गई वो प्रेम गंध

काम जगाये वो कामायनी सदा
मन महकाये वो मनमोहिनी यहाँ

रूप की माया तन को जलाती है
कूप सी काया अगन वो लगाती है

आलिंगन जिसका कर दे मदहोश
यौवन की परिभाषा वो मधुकोश

चन्द्रमा की आभा लगे वो फीक़ी
नाज़-ओ-अदा उनसे सब सीखी

अधरों पर है उसके यौवन हाला
मृगनयनी सी वो एक मधुशाला

“रंगो की सतरंगी रंगत”

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रंगो की सतरंगी रंगत, इस कदर रंगीन है
ज़िन्दगी इनके बिना, किस कदर संगीन है

सुख का है रंग श्वेत, दुःख का ये रंग श्याम
जनम मरण चक्र चले, हर सुबह हर शाम

नदियाँ सब बेरंग है, जल ही जिसका अंग है
भवसागर की यहाँ पर, हर लहर रंगीन है

बसंत का है रंग पीला, नभ का ये रंग नीला
चाहत का बादल वो, कभी खुश्क़ कभी गीला

जो आया है, जायेगा वो इक दिन, फिर भी
नश्वर जीवन की यहाँ पे, हर सहर रंगीन है

ख़ुशी का है रंग हरा, सत्य का ये रंग खरा
ख़्वाहिशों का दामन, कभी खाली कभी भरा

चटक रंग ये शहरो के, आकर्षित करे मगर
गांवो से ही सदा यहाँ, वो हर शहर रंगीन है

ओज का है रंग लाल, समय का ये रंग काल
आत्मा है छाल यहाँ, कभी शस्त्र कभी ढाल

रंगो की सतरंगी रंगत, इस कदर रंगीन है
ज़िन्दगी इनके बिना, किस कदर संगीन है

‪#‎RockShayar‬

“उदासी के बादल”

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रूठी हुई है ज़मीं, रूठा हुआ ये आसमां
छूटी हुई है ख़ुशी, छूटा हुआ ये कारवाँ

हर तरफ फैले है, उदासी के बादल यहाँ
भीगी पलकों से, रिस रहा काजल यहाँ

बेइरादा खताओं में, उलझा लिपटा हूँ
बेतहाशा जफ़ाओं में, ठहरा सिमटा हूँ  

जले बुझे ख़्वाबों की, उड़ रही है राख
अनछुँवे ख़्यालों की, मुड़ रही है शाख

जी रहा हूँ, पर जीने जैसा कुछ भी नहीं
पी रहा हूँ, पर पीने जैसा कुछ भी नहीं

रूठी हुई है ज़मीं, रूठा हुआ ये आसमां
टूटी हुई है कश्ती, टूटा हुआ ये आशियाँ

#RockShayar

“दिल मेरा बच्चे सा रूठा है”

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खिलौना वो नाज़ुक, टूटा है जब से
दिल मेरा बच्चे सा, रूठा है तब से

मनाता हूँ बहुत, मगर मानता नही
जिद पे अङा है, कुछ जानता नही

ना कुछ कहता है, ना कुछ बोलता है
तन्हाई में अक्सर, खुद को तोलता है

डरा हुआ, सहमा हुआ, सिमटा हुआ
हादसे की उस राख में, लिपटा हुआ

लोगों से ज्यादा, ये अब मिलता नही
गुमसुम रहता है, ये अब खिलता नही

इन्तज़ार में किसके, बैठा है कब से
खिलौना वो नाज़ुक, टूटा है जब से

“बेनज़ीर सी वो बातें”

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बेनज़ीर सी वो बातें, रेशम सी वो रातें
दिल ढूँढता है फिर, मखमली मुलाकातें

शोख़ी भरा वो लहज़ा, रूह लगे जो अफ़ज़ा
आँखों ही आँखों में यूँ, मुझसे कहे बह जा

रूख़सार की वो हया, पलकों पर है बयां
नज़रे टकराते ही फिर, क़रार सब गया

ज़ुल्फ़ की घनेरी छाँव, सुकूं देता कोई गांव
रूख़ पे गिरे जब, लगे जैसे दरिया में नाव

साँसों की भीनी खुशबू, बहकाये जो आरज़ू
सितारों की चादर ओढ़े, हो बस मैं और तू

लबों का सुर्ख़ लम्स, सुबह का हो जैसे शम्स
लफ़्ज़ जो भी उतरे वो, लगे सारे उम्दा नज़्म

नाज़-ओ-अन्दाज़ वो, ख़ाहिश-ए-परवाज़ लिए
मयकशी सी दो निगाहें, गहरे सब राज़ पिए

बेनज़ीर सी वो बातें, रेशम सी वो रातें
दिल ढूँढता है फिर, सुनहरी कुछ यादें

‪#‎RockShayar‬

बेनज़ीर – अद्वितीय
लहज़ा – शैली
अफ़ज़ा – प्राणवर्धक
रूख़सार – गाल
ज़ुल्फ़ – बाल
रूख़ – चेहरा
सुर्ख़ – गाढा लाल
लम्स – स्पर्श
शम्स – सूर्य

“मेरा क़ामिल वुज़ूद: राॅकशायर”

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मसनूई वो किरदार
पैदा हुआ था जो उस रोज
जब मैं दर्द से यूँ छटपटा रहा था
लहू के सियाह क़तरे मिटा रहा था
तभी उन्ही में से इक क़तरा
जो कि मिट नही पाया था पूरी तरह
वो वही पर ही रह गया फिर बाक़ी
धीरे धीरे वक्त के साथ
उसने शक्ल इख्त़ियार कर ली
ख़्यालों की, ख़्वाबों की
आहिस्ता आहिस्ता वुज़ूद बना लिया
ख़लाओं का, ख़राशों का
और फिर एक दिन जब
लफ़्ज़ों का लिबास पहने
अल्फ़ाज़ के आईने में
पहली दफ़ा खुद को उसने देखा
तो वो आईना इस कदर बिखर गया
कि रेज़ा रेज़ा हो गया
एहसास की ज़मीं पर
चट्टानों सी सिफ़त लिए
उस अक्स के सीने में
अब भी मोम सा दिल धङक रहा था
ये देखकर मैं बहुत हैरां हुआ
जज़्बातों के आगोश में
घण्टो तक यूँही ख़ामोश बैठा रहा
तभी उस आईने के बिखरे हुए टुकङो में से
एक टुकङा इस तरह चमकने लगा कि
जैसे नूर की बारिश हो रही हो आसमां से कहीं
उस पर कुछ हर्फ़ से उभर आए थे
फरिश्तों की क़लम से जो उतरे थे
हालात की शिद्दत से जो निथरे थे
ज़हन ने उन्हें फिर एक साथ जोङा
ज़ुबान ने उन्हें फिर एक साथ बोला
तब जो इक अल्फ़ाज़ सामने आया था
वो था……..
“राॅकशायर”
हाँ यही है वो मसनूई किरदार
ज़िंदा हुआ था जो उस रोज
जब मैं अपने वुज़ूद के लिए यूँ लङ रहा था
अपनी पहचान के लिए सबसे झगङ रहा था
दुनिया के लिए भले ही ये मसनूई है
मगर मेरे लिए तो
अब यही मेरा क़ामिल वुज़ूद है
दर्द से कभी नही बिखरने वाला
चट्टानों की तरह मजबूत “राॅकशायर”

“दिल तो है बादल, ये बरसता ही रहा”

आलिंगन को तेरे, मैं तरसता ही रहा
दिल तो है बादल, ये बरसता ही रहा

छेङे है जब से वो, मन के तार तुमने
कहा कुछ नही, बस लरजता ही रहा

तूही है मेरी ज़मीं, तूही मेरा आसमां
मैं बंजर सा यहाँ, तू बरसता ही रहा

अब्र सा ये मन, घनघोर घटा सावन
छलक ना सका, बस गरजता ही रहा

ज़िन्दगी बैठी है, इंतजार में ‘इरफ़ान’
दर्द का हिज़ाब, और सरकता ही रहा

“व्हाट्स अप की कहाणी राॅकशायर री जुबाणी” (Story of WhatsApp in Rajasthani)

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जि छाळा के जरिये सू, होवे सगळा काम टप
ऊ छाळा को अडे, नाम छै भाया व्हाट्स अप

समारटफोना में ईको, परमानेंट एवन फलैट
नेट बिण यान छै, बङता बिण ज्यान सलेट

आंगळ्या और अंगूठा, दाँता ने पीसता रेवे
कद छोङेलो कमीण, बस याही कहता रेवे

प्रोफाइल फोटू का चक्कर भी घणा निराळा
सेल्फी लेबा में, गैल्या हो रिह्या सब घराळा

स्टेटस की तो पछै, बाता ही काई केणी छै
बूढा डोकरा भी अडे, जो कूल डूड लिखे छै

लोग लुगाई, छोरा छोरी, और टाबर टींगर
यान चिपक्या रेवे, ज्यान कोई हाबू झींगर

मैसेज अतरी, अलग अलग तरान का आवे
कि ज्याने, पढ पढ ही ऐ आँख्याँ सूज जावे

हाई जानू, हेय ब्रो, हमममममम, हैलो मिस
और साथ में वे सब, स्माईली वाळा किस

भले ही मोबाइल की, बैटरी हो जावे खतम
चार्जर की राखे सदा, लारे ऐ सब तिकङम

धार्मिक मैसेज अडे जो, इतरा भेज्या जावे
कि धरम भी इक बार तो, कंफ्यूज हो जावे

हर तरह का विडियो, वालपेपर मिले है घणा
पढबा लिखबाळारा दिल, ईपर खिले है घणा

पेपर भी आजकल तो, ईपर ही लीक होवे है
आछी बुरी हर पोस्ट ने, ओ तो खुद ढोवे है

हर चीज का हमेशा सू, दो पहलू हुया करे
आपणा पर है, कि यूज क्यान किया करे

सूचना तकनीक को, ओ कमाल है अनूठो
अपणा दिल सू कदई, ओ सवाल तो पूछो

जे ई छाळा ने, कि रूप में काम में लैणो है
म्हारों तो शब्दा सू, बस इतरो हि कैणो है

के जि छाळा के जरिये सू, होवे नोलेज अप
ऊ छाळा को ही, नाम छै भाया व्हाट्स अप

सर्वाधिकार सुरक्षित, 2015
© राॅकशायर इरफ़ान अली खान

— शब्द सन्दर्भ —

छाळा – खिलौना, मन बहलाने की वस्तु
सगळा – सब
अडे – यहाँ
छै – है
ईको – इसका
बिण – बाना
यान – ऐसे
बङता – स्लेट पर लिखने की चाॅक
ज्यान – जैसे
आंगळ्या – उंगलियाँ
कद – कब
कमीण -दुष्ट
घणा – खूब
निराळा – अद्भुत
लेबा – लेना
गैल्या – पागल
रिह्या – रहे
घराळा – घरवाले
पछै – फिर
काई केणी – क्यां कहने
डोकरा – वृद्ध
अडे -यहाँ
लोग लुगाई – नर नारी
छोरा छोरी – युवक युवती
टाबर टींगर – बालक शिशु
चिपक्या रेवे – चिपके रहते
हाबू झींगर – कीट पतंगे
अतरी – इतनी
तरान – तरह
आँख्याँ – आँखें
लारे – साथ
तिकङम – तरकीब, युक्ति
ईपर – इस पर
आछी – अच्छी
आपणा – अपना
क्यान – कैसे
कदई – कभी
जे – कि
लैणो – लेना
म्हारों – मेरा
कैणो – कहना

“वो है डाॅ. सी. वी. रमन” (Tribute to Dr. C. V. Raman on the behalf of Science Day)

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रोशनी से किया जिसने, नाम यूँ रोशन
साइंस की दुनिया में, वो है एक ऑशन

विज्ञान पर ये ज़िन्दगी, कुर्ब़ान कर दी
रिसर्च पर वो ख़्वाहिशें, बेज़ान कर दी

बाद उसके, नतीजे फिर जो ऐसे आये
कि ख़्वाब में भी ना सोचे थे, वैसे आये

मेहनत और लगन, थी आदत उनकी
महारत और जतन, थी चाहत उनकी

नाकामियों से, ना कभी घबराये थे वो
कामयाबियों पे, ना कभी इतराये थे वो

मंज़िल की ओर, बढते रहे यूँही सदा
गिरकर खुद, सम्भलते रहे यूँही सदा

और फिर, एक दिन वो करके दिखाया
कि रोशनी को यूँ रमन करके दिखाया

प्रकाश सा प्रकाशित हुआ, एक चमन
शान-ए-हिंद, वो है डाॅ. सी. वी. रमन