“खुद से भी कभी कुछ बात की जाए”

खुद से भी कभी कुछ बात की जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए
खुद को ही आज खुद से यूँ मात दी जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए ।

हटा दो अक्ल के पहरे तुम सब
हटा दो शक्ल सुनहरे तुम अब
देखो ग़ौर से, दिल की कोर से
हटा दो नक्ल के चेहरे तुम सब

दिखावे की मालो दौलत ख़ैरात की जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए
खुद से भी कभी कुछ बात की जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए ।

ख़ामोशी की आवाज़ सुनो ना तुम
ख़यालों पर अल्फ़ाज़ बुनो ना तुम
ग़ैरों को ना देखो, मन के पासे फेंको
खुद ही अपने अंदाज़ चुनो ना तुम

ज़ेहन से आओ अपने ख़ुराफ़ात की जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए
खुद से भी कभी कुछ बात की जाए
कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए ।।

43 thoughts on ““खुद से भी कभी कुछ बात की जाए”

  1. Anushree Srivastava says:

    Jab aap bandhe ho bahut sare rishton me…. toh khud se baatein…. khud ki baatein namumkin ho jati h….. Aap apne bilkul bhi nahi rah jate tab……

  2. बेहद खूबसूरत लिखते है आप
    क़ाबिले तारीफ👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐
    God bless u 🙏🙏🙏☺️☺️

    On Tue, Aug 18, 2020, 9:27 AM अल्फ़ाज़ में नुमायाँ मेरा वज़ूद © RockShayar
    Irfan Ali Khan wrote:

    > RockShayar posted: “खुद से भी कभी कुछ बात की जाए कौन है भीतर ? चलो मुलाकात
    > की जाए खुद को ही आज खुद से यूँ मात दी जाए कौन है भीतर ? चलो मुलाकात की जाए
    > । हटा दो अक्ल के पहरे तुम सब हटा दो शक्ल सुनहरे तुम अब देखो ग़ौर से, दिल की
    > कोर से हटा दो नक्ल के चेहरे तुम सब दिखावे की मा”
    >

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